Thursday 11 October 2012


आज एक सनसनीखेज खबर मुझे यकायक Morning Walk के दौरान मेरे प्रभात फेरी के संगी जिसे आप चाहें तो बिलकुल नये व ताजा बने मित्र भी कह सकते हैं से अनायास ही मिली।इन दिनों किसी काम से दिल्ली आया हुआ था और कई दिनों से दिल्ली के लोदी गार्डन मेmorning walk  कर रहा था।  यह खबर मुझे तब  मिली जब मैने उन्हें एक चुटकुला सुनाया। चुटकुला यों था कि
एक सरदार जी ने अपने एक मित्र से शर्त लगाई थी के वे एक घण्टे के दौरान बारह बोतल बियर तक पी सकते हैं। शर्त के अनुसार अगले दिन सरदार जी के फ्लैट मे नियत समय पर दोनो मित्र व बारह बोतलें उपस्थित थी। सरदार जी हर एक बोतल को पीने के बाद toiletजाते और फिर वापस आ बैठ कर एक बोतल और पी जाते। पूरी बारह बोतलें के विसर्जन व शर्त की रकम के पश्चात रहस्य खुला कि इन सरदार जी ने toilet में 11 सरदार जी और भी खड़े कर रखे थे। एक आता था एक जाता था।  
मेरे मित्र ने कहा भाई साहब आप मुझे जो चुटकुला सुना रहें हैं मैं उस चुटकुले के उद्गम स्थल का साक्षी हूं। मैंने कहा चलिये मुझे भी इसके उद्गम स्थल या इसकी etymology से परीचित करवाइये।
अब वह कहानी शुरू होती हो जिसने मेरी विगत बीस साल की morning walk कृतार्थ कर दी। नव मित्र ने कहा::क्या आप जानते हैं कि मनमोहन सिंह जी कभी कोई गलती क्यों नहीं कर सकते ?
मैंने नहीं की मुद्रा सर बायें से दायें हिलाया।
अरे भई मनमोहन सिंह नाम का कोई व्यक्ति अगर होगा तब तो गलतियां करेगा। सुनकर चौंकिये मत। मनमोहन सिंह नाम का कोई व्यक्ति भारत में है ही नहीं।
मैं विस्मय से मित्र को घूर रहा था कि कहीं उसने सुबह सुबह ही तो शिवबूटी का सेवन नहीं कर लिया है।
मित्र ने भांपते हुये कहा नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है।मैं आपको पूरी बात खोलकर बताता हूं।
वाजपेयी जी की 1997 व 1999 में सरकार बनने के पश्चात हमारे भूतपुर्व वित्त मन्त्री सरदार मनमोहन सिंह भारत से कूच कर गये। आजकल वे कहां पर हैं इसके विषय विषय में भिन्न भिन्न मत है। कुछ सुत्रों का मानना है कि वे अमेरीका के किसी विश्वविद्यालय मे देखे गये हैं। वे सुत्र फौरी तौर पर कहने मे अक्षम थे कि वे वहां पढ़ रहे थे या पढा रहे थे। चलिये विश्वविद्यालय एवं अध्ययन उनके मनपसन्द काम है और उनकी जीवन शैली से मेल खाते हैं तो सम्भावनायें बनती हैं।
किन्हीं और सुत्रों का मानना है कि वे रशिया के जंगलों में सुभाष बोस के साथ देखे गये हं। अब यह राग मत अलापिये कि सुभाष बोस तो दिवंगत हो चुके हैं। मुझे व्यक्तिगत तौर पर दोनो के विषय में कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं है।
मुझे यह सब किसी ऐयार के माया जाल सा प्रतीत हो रहा था।
अब आप पुछेंगे कि यह जो संसद के सदन में गाहे बेगाहे दिख जाते हैं यह कौन हैं । तो भाई साहब यहीं से आपके चुटकुले की उद्गमस्थली शुरु होती है। 
सन् 2004 में कांग्रेस ने संसद में जब सरकार बनाने की पेशकश की तो मादाम जी का प्रधान मन्त्री बनना तय था। अब उन्होंने इस पद को स्वीकार करने से क्यों मना किया , यह एक और कहानी है, वह फिर कभी। अब मादाम नहीं तो कौन। प्रणब दा तो तो बीस वर्षों से कतार में थे। लेकिन खतरा था कि कापीराइट मिल जाने पर असली लेखिका का नाम कहीं सुर्खियों के बजाय हाशिये में नहीं आजाये। वहीं एक शातिर किस्म के राजनीतिक प्राणी उपस्थित थे। उन्हों ने मनमोहन सिंह जी का नाम सुझाया। सब चौंके कि अब कहां ढुंढा जाये उन्हें उनके स्वेच्छित अज्ञातवास से। इन महानुभाव ने कहा कि देखिये ये बड़े बड़े प्रकाशन अक्सर लेखक के नाम पर एक मन गढन्त नाम रख लेते हैं और असली लेखक को कोई श्रेय नहीं मिलता जिससे उन्हें कालान्तर में royalty  सरीखे किसी मुद्दे से दो दो हाथ नहीं होना पड़े।
तो मनमोहन सिंह जी को भी ढुंढने की कोई क्या आवश्यकता है ? आप भी किसी नत्था सिंह व मक्खा सिंह को मनमोहन सिंह जी के स्थान पर स्थापित कर दीजिये। कहावत भी है नत्था सिंह या मक्खा सिंह All Singh same thing.
भाई साहब आप भी जानते हैं कि दाढ़ी के पीछे और पगड़ी के नीचे  से शक्ल कितनी दिख पड़ती है। किसी को भी पगड़ी और दाढ़ी लगाकर बैठा दीजिये कोई नहीं जान पायेगा। कभी कभी गुस्ताखी माफ के कार्यक्रम वालों से मुखौटा मांग लायेंगे। संवाद हम IVRS  से करवा देंगे। प्रेस कांफ्रेस जितनी कम हो शेयष्कर हैं। वहां IVRS से काम चलाना जोखिम का काम है। चुनिन्दा सम्पादकों को बुलाकर प्रेस कांफ्रेन्स भी दो चार साल में एकाध करवा लेंगे। टीवी पर तो manage करने के बहुत से साधन हैं। पिछले दिनों एक हालीवुड फिल्म में कैनेडी को डस्टिन हाफ्मैन से हाथ मिलाते हुये दिखाया गया था। जबकि कैनेडी की मौत डस्टिन हाफ्मैन के पैदा होने से पहले ही हो चुकी थी।
बहुत बढिया सुझाव दिया है मैने, सोचिये और तुरन्त कार्वान्वित कीजिये। 
द्वितीय विश्व युद्ध की प्रचलित कहानियों में यह भी प्रचलित है कि हिटलर का देहान्त पहले ही हो चुका था, युद्ध के अन्तिम दो वर्ष उसके जैसे दिखने वाले चार छद्म पात्रों को सैन्य बल ने हिटलर की नांई इस्तेमाल किया था।
मादाम भी समझ रहीं थी कि कुर्सी पर किसी भी विश्वास पात्र को बैठा दो, नीयत बदलने में कितनी देर लगती है। एक देहाती कहावत है कि जोरु और गोरु किसकी। जिसके खुंटे से बन्धी उसकी। तो भाई साहब सत्ता भी जोरु सम ही है, जिसकी कुर्सी से बन्धी उसकी। नरसिंहा राव जी का उदाहरण ताजा था। मादाम को पांच वर्षों तक हाशिये पर बैठा ही दिया था।
तो इस सारे परिप्रेक्ष्य में यह सुझाव बेहद सुगम प्रतीत हो रहा था। जब कुर्सी पर सिर्फ एक नाम ही बैठा हो तब तो सत्ता अपनी गांठ में ही चिरन्तन बनी रहेगी।
तो भैये अब आप ही बताइये विपक्ष की सारी बातें कि मनमोहन सिंह जी जी या कोलगेट के लिये जिम्मेदार हैं, बात सिरे से गलत है या नहीं।
इस बार मैंने सर उपर से नीचे हिलाते हुये हामी भरी। मैने मित्र से पूछा भाई साहब सारे हिन्दुस्तान को इसकी जानकारी नहीं है तो आप कैसे जानते हैं यह सब। क्या सबूत है कि आप लन्तराइनियां नही हांक रहें हैं।
और आप हैं कौन यह भी तो बताइये।
पहली बात का उत्तर यह है कि वह शातिर व्यक्ति जिसने यह सुझाव देकर मादाम को उबारा वो मैं ही था।  So it is all from Horse’s mouth.
भाईसाहब आपको भी दाढ़ी के पीछे व पगड़ी के नीचे से मैं पहचान नहीं पा रहा हूं। उन्होंने मुस्कराते हुये उत्तर दिया कि दाढी और पगड़ी को भूल जाइये ये तो क्षेपक भी हो सकते हैं। कही गई बातों पर गौर कीजिये और सूझिये। व्यक्तित्व व बातें दोनो ही रहस्य्मयी थी। जाते जाते मैने उनकी विदा होती हुयी S Model की मर्सिडीज को घूर रहा था। तभी सुझा कि इस कार ने हो न हो 23 नम्बर Wellington Road की दिशा पकड़ी है। अब सारा रहस्य साफ भी हो गया और प्रामाणिक भी ॥  

दिन बहुरेंगे मेवात के !!


देश आज़ाद हुआ और हरियाणा भी पंजाब से अलग होकर पूर्ण राज्य बना. इन दोनों एतिहासिक घटनाओं को कई दशक बीत गये. इस दौरान देश ने भी हर क्षेत्र में तरक्की की और हरियाणा ने भी. कई मायनो में ये छोटा सा राज्य देश दुनिया के लिए मिसाल बना. कई क्षेत्रों में ये राज्य देश में सिरमोर बना. इसकी तरक्की से कुछ राज्यों को रस्क हुआ तो कुछ राज्यों ने इसकी नीतियों को आतम्सात किया और उन्हें देखते हुए अपनी नीतिया बनाई. लेकिन इस राज्य की तरक्की और खुबसूरत चहेरे पर एक शिकन हमेशा रही. वो शिकन थी मेवात के पिछड़ेपन की, अशिक्षा की और वहां के हालत की. हरियाणा ने पिछले सालों में हर क्षेत्र में तरक्की की लेकिन मेवात जस का तस रहा. हरियाणा की प्रगति के खुबसूरत मखमल में ये एक पैबंद जैसा है. लेकिन कहते हैं ना की सबका समय आता है. तो ऐसा लगता है की अब मेवात का समय आ गया है. इस जिले को अप्रैल के महीने में फिर एक ख़ुशी मिली. ७ साल पहले इसी महीने में अस्तित्व में आये मेवात के लिए इस बार अप्रैल का महिना नई सौगात लेकर आय. वो सौगात है इस जिले के लिए एक अलग शिक्षक कैडर बनाये जाने की सरकार की घोषणा की.
देर आये दुरुस्त आये की तर्ज पर अब हरियाणा सरकार ने समझ लिया है की अगर इस क्षेत्र का विकास करना है की तो यहाँ शिक्षा के उजाले को फैलाना होगा. यहाँ शिक्षा के बूते ऐसी रोशनी पैदा करनी होगी की जिसकी चमक में हर अँधियारा दूर भाग जाए. इसी सोच को आगे रखते हुए अब सरकार ने इस क्षेत्र में शिक्षा के प्रसार को लेकर नइ योजना तैयार की है जिसके तहत इस क्षेत्र के किये शिक्षकों का अलग कैडर बना दिया है. इस फैसले के तहत अब मेवात जिला में पढ़ने वाले शिक्षा का जिले से बाहर तबादला नहीं होगा. यानि एक बार जो यहाँ शिक्षक तैनात हुआ उसे पूरी जिंदगी अपनी सेवाएँ यही देनी होंगी.  सरकार को ये योजना इस लिए बनानी पड़ी क्यूंकि मेवात में बहार से आने वाले ज्यादातर शिक्षक जिले में नहीं रहना चाहते जिसकी वजह से यहाँ पर शिक्षा का स्तर बहुत पिछड़ा है. यहाँ पर नौकरी करना सरकारी महकमों में काले पानी की सजा की तरह से देखा जाता है. इस बात को हरियाणा सरकार भी जानती है और मेवाती भी. इस क्षेत्र में कोई भी नौकरी नहीं करना चाहता. अब जी सत्रह से सरकार ने इस जिले के लिए ही अलग कैडर बना दिया है उससे लगता है की अब शिक्षा के क्षेत में इसके दिन बहुरेंगे और ये जिला भी राज्य के दुसरे जिलों के साथ कदम ताल करता नज़र आएगा. फिलवक्त जो शिक्षक इस जिले में काम कर रहे हैं वो अगले तीन महीने में सरकार को ये बता सकते हैं की वो आगे यहीं रहना चाहते हैं या नहीं. अगर कोई शिक्षक यहाँ नहीं रहना चाहता तो उसका तब्दला यहाँ से बाहर कर दिया जाएगा. 
चार अप्रैल दो हज़ार पांच को मेंवात हरियाणा का बीसवां जिला बना था. हरियाणा के गुडगाँव और फरीदाबाद के एक हिस्से को मिलकर उसे मेवात जिला बनाया गया था. इसे जिला बनाने के पीछे सरकार की मंशा इस क्षेत्र का विकास करना थी. सरकार की मंशा तो सही थी लेकिन समय बीतने के साथ वो पूरी नहीं हो पाई. जिला बनने के बाद जिस तरह का विकास इस जिले में होना चाहिए था वो नहीं हो पाया. 2011 की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसँख्या है 1089406 . इस जिले की साक्षरता दर 44.07 है जबकि राज्य की साक्षरता दर 67 .91 है. इससे भी बुरी जानकारी ये है की यहाँ महिलायें शिक्षा में बहुत ज्यादा पिछड़ी हैं. यहाँ पर महिलायों की साक्षरता सिर्फ 24.26 फिसद ही है जबकि हरियाणा की ये दर है 55.73 फिसद. साफ़ है जब शिक्षा ही नहीं होगी तो कोई एरिया तरक्की कैसे करेगा. सरकार को भी शायद अब ये समझ में आया है की वो चाहे जितनी मर्जी योजनायें बना ले लेकिन मेवात में तरक्की तभी आएगी जब यहाँ शिक्षा का उजियारा फैलेगा. सरकार की इसी सोच के चलते बना है मेवात जिला स्कूल शिक्षा ग्रुप सी तथा बी अधिनियम. इस अधिनियम के तहत ही अब मेवात में पूरे प्रदेश से अलग हटकर शिक्षकों का एक कैडर होगा. इस अधिनियम के बाद राज्य की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल काफी उत्साहित है. वो कहती हैं की ये पहला मौका है जब प्रदेश सरकार ने एक जिले के लिए ये नियम बनाये हों. इन नियमों के बाद इस क्षेत्र में शिक्षकों की कमी नहीं होगी. ख़ास बात ये है की मेवात के लिए अलग से जो कैडर बनाया गया है इसमें ३३ फीसदी महिला आरक्षण का प्रावधान भी किया गया है. जिला मेवात में अध्यापक पद के लिए आवेदक प्रदेश के किसी भी जिले से हो सकता है। लेकिन तैनाती के बाद उसे सेवानिवृति तक वहीँ काम करना होगा. भुक्कल कहती हैं की मेवात में अध्यापको की भर्ती शीघ्र की जायेगी.  
सरकार ने अलग कैडर को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है. मेवात में शिक्षकों के अलग कैडर की अधिसूचना के तहत राज्य सरकार यहां पांच हजार अध्यापक नियुक्त करेगी। जिनमे ६०० उर्दू के अध्यापक भी होंगे. मेवात में प्राथमिक शिक्षकों के 2910, टीजीटी 265, टीजीटी साइंस 121, टीजीटी गणित 105, टीजीटी उर्दू 2, टीजीटी होम साइंस 2, टीजीटी आ‌र्ट्स 1, टीजीटी म्यूजिक 2, फिजीकल एजुकेशन 15 के अलावा सभी विषयों के पीजीटी 625 पद स्वीकृत किए गए हैं। हरियाणा सरकार ने मेवात में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए अध्यापकों के अलग काडर की अधिसूचना 11 अप्रैल को जारी की है।  इस अधिसूचना के जारी होने के बाद नूंह के विधायक आफताब अहमद ने सरकार का शुक्रिया अदा किया है.  उन्होंने कहा कि यह मेवात क्षेत्र की बहुत पुरानी मांग थी, जिसे मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने पूरा किया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के निकट स्थित होने के बावजूद मेवात जिला शैक्षिक रूप से पिछड़ा रह गया और अब वहां की साक्षरता दर को ऊंचा उठाना एक चुनौती है। उन्होंने उम्मीद जताई की अब यहाँ शिक्षा का पिछड़ापन नहीं रहेगा. आफताब अहमद ने कहा कि मेवात जिला के लिए शिक्षा पर केन्द्रित इतना बड़ा फैसला अपने आप में अनूठा उदाहरण है, जो कि देश में कहीं नहीं मिलेगा। 
मेवात हरियाणा का मुस्लिम बहुल इलाका है. ऐसे में राज्य सरकार सिर्फ आधुनिक शिक्ष ही नहीं बल्कि मुसलमानों की ज़बान मानी जाने वाली उर्दू को भी नौनिहालों को सिखाने की थान चुकी है. राज्य सरकार ने उर्दू जबान को बढ़ावा देने के लिए ख़ास तौर पर मेवात के लिए उर्दू अध्यापकों के 544 पद भी मंजूर किए हैं और इनके लिए विज्ञापन भी निकाला जा चुका है। उर्दू अध्यापक नियुक्त होने के बाद मेवात जिला के सभी प्राथमिक स्कूलों में उर्दू जबान पढ़ाई जाएगी। वर्तमान में जो अध्यापक मेवात जिला में कार्यरत हैं, उनसे अगले तीन महीनों में ऑप्शन मांगी जाएगी कि वे मेवात काडर में रहना चाहते हैं या नहीं। अगर नहीं रहना चाहेंगे तो राज्य सरकार की नीति के अंतर्गत उनका तबादला किसी दूसरे जिले में हो जाएगा। हुड्डा सरकार ने मेवात जिला को शैक्षणिक तथा आर्थिक रूप से ऊपर उठाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जिससे कि आम जनता तथा गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपने बच्चों को शिक्षा दिलवा सके। दावा किया जा रहा है की राज्य में हुड्डा सरकार बनने के बाद प्रदेश में सबसे ज्यादा स्कूल मेवात जिला में अपग्रेड किए गए तथा पिछले दो वर्षों में यहां लगभग 1500 शिक्षकों की नियुक्ति भी हुई। पिछले वर्ष नवम्बर में शिक्षा के अधिकार अधिनियम की शुरूआत मेवात जिला से की गई, जिसके तहत दस्तक-ए-तालीम कार्यक्रम शुरू हुआ। हुड्डा सरकार ने जिला मेवात में आरोही स्कूल खोले तथा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय शुरू किए, जो दसवीं तक थे लेकिन राज्य सरकार ने पिछले विधानसभा सत्र में प्रस्ताव पारित करके इन स्कूलों को 10+2 तक करने का फैसला लिया। जिला के गांव मढ़ी में गणित व विज्ञान के स्कूल तथा गांव खानपुर घाटी में लड़कियों के लिए आवासीय स्कूल खोले हैं। गांव सालाहेड़ी में लड़कियों का कॉलेज बनाने की घोषणा की गई, जिसमें इस सत्र से कक्षाएं शुरू हो जाएंगी। 
अब ये देखना होगा की सरकार की इस पहल के बाद ऐसे कितने शिक्षक हैं जो यहाँ के कैडर में शामिल होने आगे आते हैं. जो शिक्षक इस कैडर में शामिल होंगे उनके सामने कई चुनोतियाँ तो होंगी लेकिन साथ में ही आने वाले समय में जो इतिहास बनेगा निश्चित तौर पर तब ये लोग अपना सर फख्र से ऊँचा करने वालों में शामिल होंगे. उम्मीद की जा सकती है की हरियाणा सरकार की मेवात को लेकर की गई ये पहल जरुर कामयाब होगी और दिल्ली के नजदीक होने के बावजूद पिछड़े इस इलाके में भी विकास की गंगा बहेगी. यहाँ शिक्षा का उजाला फैलेगा. 

Wednesday 9 November 2011

मुख्यमंत्री ने नि:शक्त जोड़े को दिया आशीर्वाद


राज्योत्सव मंडप में लिए सात फेरे :

3429-011111छत्तीसगढ़ राज्योत्सव के प्रथम दिवस पर आज देर रात यहां शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के मैदान में आयोजित विकास प्रदर्शनी के एक मंडप में रायपुर निवासी जितेन्द्र और दीपा एक-दूसरे के जीवन साथी बन गए। महिला और बाल विकास तथा समाज कल्याण विभाग के मंडप में इन दोनों श्रवण बाधित युवाओं ने सात फेरे लिए, मंडप में शहनाई गूंजी और दोनों का विवाह उत्साहपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हो गया। नव-दम्पत्ति को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने समाज कल्याण विभाग की नि:शक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत 21 हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि का चेक प्रदान कर बधाई और शुभकामनाएं दी। डॉ. रमन सिंह के साथ विधानसभा अध्यक्ष श्री धरम लाल कौशिक, संस्कृति मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल और महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री सुश्री लता उसेण्डी सहित अनेक वरिष्ठ और विशिष्ट लोगों ने भी इस जोड़े को आशीर्वाद प्रदान कर उनके सुखी गृहस्थ जीवन के लिए अपनी शुभकामनाएं दी।

छत्तीसगढ़ को उन्नत और खुशहाल बनाने आम नागरिकों का सहयोग जरूरी


छत्तीसगढ़ को उन्नत और खुशहाल बनाने आम नागरिकों का सहयोग जरूरी-श्री बृजमोहन अग्रवाल
प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री एवं धमतरी जिले के प्रभारी श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ को उन्नत और खुशहाल राज्य बनाने के लिए आम जनता का सहयोग जरूरी है।। श्री अग्रवाल कल देर शाम धमतरी के मिशन स्कूल ग्राउंड में आयोजित तीन दिवसीय जिला स्तरीय राज्योत्सव-2011 के शुभारम्भ समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री अजय चन्द्राकर ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में जिला पंचायत धमतरी के अध्यक्ष श्री बालाराम साहू, नगरपालिका परिषद् धमतरी के अध्यक्ष डॉ. एन.पी. गुप्ता सहित अन्य जनप्रतिनिधि और आम नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। 
मुख्य अतिथि के रूप में श्री अग्रवाल ने लोगों को छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना की 11 वीं वर्षगांठ पर अपनी बधाई एवं शुभकामना दी।छत्तीसगढ़ बनने के बाद धमतरी जिले में भी सड़कों, पुल-पुलियों, पंचायत भवनों, ऑंगनबाड़ी भवनों और अन्य सार्वजनिक भवनों का निर्माण किया गया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्योत्सव आम जनता का उत्सव है, इसमें सभी नागरिकों की भागीदारी जरूरी है।

Thursday 3 March 2011

भारत नि‍र्माण

छत्तीसगढ़  की धड़कन  अपने नाम के अनुरूप गत एक वर्ष से निरंतर मासिक पत्रिका के रूप में प्रकाशित कृति है हम चाहते है की भारत निर्माण के साथ छत्तीगढ़ का निर्माण भी सही दिशा में हो ,इस ओर हम अनुरूप कदमो का उत्साह वर्धन और गलत कदमो को सही दिशा में ले जाने के हर प्रयास करना चाहते है हम नव प्रदेश की प्रत्येक नागरिक की आवाज बनना चाहते है 
इस दिशा में वैश्विक मंच पर आकर हम आपका ध्यानाकर्षण चाहते है  आप सभी नव अगुन्ताको का हार्धिक स्वागत है